how to perform ghusl steps, gusal karne ka tarika गुस्ल करने का तरीका क्या है

 Discover the Complete Guide to Performing Ghusl (Islamic Ritual Bath) with Step-by-Step Instructions and Ghusl Karne Ki Dua. Learn Ghusl Ka Tarika, Niyat, and Farz for Both Men and Women. Master the Proper Techniques on How to Perform Ghusl Easily and Accurately in Hindi.


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how to perform ghusl steps, gusal karne ka tarika
गुस्ल करने का तरीका क्या है।


गुस्ल करने का तरीका यह है कि
• पहले गुस्ल की नीयत करके दोनों हाथ गट्टों तक तीन बार धोए
•  फिर इसतिनजा  की जगह धोए
•  उसके बाद बदन पर अगर कहीं नजासते हकीकीया यानी पेशाब या पाखाना वगैरह हो तो उसे दूर करे
•  फिर नमाज़ जैसा वजू करे मगर पैर न धोए हा अगर चौकी या पत्थर वगैरह ऊँची चीज़ पर नहाए तो पांव भी धोले।
•  इसके बाद बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़े ताके आसानी से जिस्म के हर हिस्से पर पानी बह जाए
•  फिर तीन बार दाहिने कंधे पर पानी बहाए और फिर तीन बार बायें कंधे पर फिर सर पर और तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाए
•  तमाम बदन पर हाथ फेरे और मले
• फिर नहाने के बाद फौरन कपड़ा पहन ले ।
Note: gusal karne ki dua nahi hoti hai.


Gusal me kitne farz hai
गुस्ल में कितनी बातें फ़र्ज़ हैं ?


गुस्ल में तीन बातें फ़र्ज़ हैं

1. कुल्ली करना,   यानी दांतो के हर हिस्से में जबान की जड़ में और हलक में पानी पहुंचाना लेकिन अगर रोजे से हो तो सिर्फ सादा कुल्ली करें
2. नाक में सख़्त हड्डी तक पानी चढ़ाना
3.  तमाम ज़ाहिर बदन पर सर से पांव तक पानी बहाना, यानी जिस्म के हर हिस्से पर पानी बह जाए अगर थोड़ा सा भी जिस्म का हिस्सा पानी बहने से रह गया तो गुस्ल हरगिज नहीं होगा


Gusal ki sunnate
गुस्ल  में कितनी बातें सुन्नत हैं ?


गुस्ल में यह बातें सुन्नत हैं ।

1.   गुस्ल की नीयत करना
2. दोनों हाथ गट्टों तक तीन बार धोना ।
3. इसतिनजा की जगह धोना ।
4. बदन पर जहां कहीं नजासत हो उसे दूर करना ।
5.  नमाज़ जैसा वज़ू करना।
6. बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ना ।
7. दाहिने मोढे फिर बाए मोढे फिर सर पर और तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाना  (एक बार बहाना फर्ज है और तीन बार सुन्नत)
8. तमाम बदन पर हाथ फेरना और मलना ।
9. नहाने में किबला रुख न होना और कपड़ा पहन कर नहाता हो तो कोई हर्ज नहीं ।
10. ऐसी जगह नहाना कि कोई न देखे ।
11.  नहाते वक्त किसी किस्म का कलाम न करना ।
12. कोई दुआ न पढ़ना ।
13. औरतों को बैठकर नहाना।
14.  नहाने के बाद फौरन कपड़ा पहन लेना

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Ghusal kab wajib hota hai
किन सूरतों में गुस्ल करना फ़र्ज़ है ।


1. मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा होकर उज्व से निकलना, यानी जो मनी बीमारी के सबब या वज़न उठाने से निकल जाए तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं होता गुस्ल तब फ़र्ज़ होगा जब मनी  शहवत यानी मजे के साथ निकले
2.  इहतिलाम, यानी सोते में नाइट फेल हो जाना
3. हशफा यानी सरे ज़कर का औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे दाखिल होना दोनों पर गुस्ल फ़र्ज करता है ।
4. हैज़ से फारिग होना यानी पीरियड खत्म होना
5.  निफास का खत्म होना यानी बच्चा पैदा होने के बाद जो खून अमूमन 40 दिन तक आता है उसका रुकना



Ghusal karna kab sunnat hai
किन वक्तों में गुस्ल करना सुन्नत है ।


जुमा, ईद, बक़राईद अर्फा के दिन और इहराम बांधते वक़्त नहाना सुन्नत है ।


Ghusal karna kab mustahab hai
किन सूरतों में गुस्ल करना मुसतहब है ।


वकूफ़े अर्फात, वकूफे मुजदलफा, हाज़रीये हरम, हाज़रीये सरकारे आज़म सल्लल्लाहु तआला अलैहिवसल्लम तवाफ, दुखूलेमिना, तीनों दिन जमरों पर कंकरियां मारने के लिए, शबेबराअत, शवे कुद्र, अर्फा की रात, मजलिसे मीलाद शरीफ़ और दीगर मजलिसे खैर की हाज़िरी के लिए, मुर्दा नहलाने के बाद, मजनून को जुनून जाने के बाद, ग़शी से इफाका के बाद, नशा जाते रहने के बाद, गुनाह से तौबा करने के लिए, नया कपड़ा पहनने के लिए, सफ़र से वापसी के बाद, इसतिहाज़ा बन्द होने के बाद। नमाज़े कुसूफ, खुसूफ, इसतिसका, खौफ, तारीकी और सख्त आंधी के लिए, बदन पर नजासत लगी हो और यह मालूम न हो कि किस जगह है। इन सब सूरतों में गुस्ल करना मुस्तहब है

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